Friday, August 2, 2024

बाली में रामलीला

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 बाली में रामलीला

इंडोनेशिया में एक बड़ा टापू है बाली. यह द्वीप 5720 वर्ग किमी में फैला हुआ है. ज्वालामुखी की राख से बना ये द्वीप बारिश की बहुतायत की वजह से बहुत हरा भरा है. द्वीप का सबसे उंचा पहाड़ माउंट अगुंग है जिसकी उंचाई 3000 मीटर से ज्यादा है. इस माउंट पर अभी भी एक ज्वालामुखी 'एक्टिव' है.

बाली की जनसँख्या लगभग 42 लाख है. इनमें से 84% हिन्दू हैं और बाकी मुस्लिम, इसाई और बौध धर्म के अनुयायी हैं. कहा जाता है की 914 में यहाँ श्री केसरी वर्मा देवा का राज था. विभिन्न हिन्दू राजाओं का राज 1520 तक चला. उसके बाद बाली और आस पास के द्वीप अलग अलग राजाओं में बंट गए. 1840 में डच ईस्ट इंडीज कम्पनी आ गई. दूसरे विश्व युद्ध में यहाँ जापानी आ गए. जापानियों के सरेंडर के बाद एक बार फिर डच राज रहा जो 1949 में समाप्त हुआ.

बाली और बाली का मौसम गोआ - Goa, से मिलता जुलता है और पर्यटक भी खूब आते हैं. स्वच्छता और सुविधाओं में गोआ से बेहतर है.

बड़ी हिन्दू जनसँख्या और लम्बे समय तक हिन्दू राज रहने के कारण बाली में बहुत से मंदिर हैं और रामलीला का भी चलन है. निचले नक़्शे पर नज़र मारें तो समझ में आता है की भारत से बर्मा, थाईलैंड, इंडोनेशिया और आसपास के देशों में काफी व्यापार चलता होगा. इसी व्यापार के साथ साथ रामायण और महाभारत भी पहुँच गई होगी. रामायण यहाँ 'केचक रामायण' के नाम से प्रचलित है.

रामलीला पर आधारित 3 - 4 एक्ट के छोटे नाटक पर्यटकों के लिए रोज़ ही किये जाते हैं. इन नाटकों में यहाँ राम और रावण के साथ एक एक विदूषक भी होता है - देलेम और तुआलेन. ये दोनों दर्शकों का मनोरंजन करते रहते हैं. बीच में बैठे कुछ लोग मन्त्र और गीत गाते हैं.
प्रस्तुत हैं रामलीला के कुछ दृश्य:

हनुमान लंका में सीता से मिलने जा रहे हैं 

हनुमान के करतब  

हनुमान दर्शकों के बीच से बढ़े सीता की ओर

सीता को हनुमान का प्रणाम 

रावण का चेला तुआलेन

रावण की सीता को धमकियाँ 

रावण और गरुड़ का युद्ध 


ये फोटो-ब्लॉग मुकुल वर्धन  की  प्रस्तुति  है  
* This photo-blog has been contributed by Mukul Wardhan

 बाली, इंडोनेशिया में

इंडोनेशिया में एक बड़ा टापू है बाली. यह द्वीप 5720 वर्ग किमी में फैला हुआ है. ज्वालामुखी की राख से बना ये द्वीप बारिश की बहुतायत की वजह से बहुत हरा भरा है. द्वीप का सबसे उंचा पहाड़ माउंट अगुंग है जिसकी उंचाई 3000 मीटर से ज्यादा है. इस माउंट पर अभी भी एक ज्वालामुखी 'एक्टिव' है.

बाली की जनसँख्या लगभग 42 लाख है. इनमें से 84% हिन्दू हैं और बाकी मुस्लिम, इसाई और बौध धर्म के अनुयायी हैं. कहा जाता है की 914 में यहाँ श्री केसरी वर्मा देवा का राज था. विभिन्न हिन्दू राजाओं का राज 1520 तक चला. उसके बाद बाली और आस पास के द्वीप अलग अलग राजाओं में बंट गए. 1840 में डच ईस्ट इंडीज कम्पनी आ गई. दूसरे विश्व युद्ध में यहाँ जापानी आ गए. जापानियों के सरेंडर के बाद एक बार फिर डच राज रहा जो 1949 में समाप्त हुआ.

बड़ी हिन्दू जनसँख्या और लम्बे समय तक हिन्दू राज रहने के कारण बाली में बहुत से मंदिर हैं और रामलीला का भी चलन है. निचले नक़्शे पर नज़र मारें तो समझ में आता है की भारत से बर्मा, थाईलैंड, इंडोनेशिया और आसपास के देशों में काफी व्यापार चलता होगा. इसी व्यापार के साथ साथ रामायण और महाभारत के रूप में संस्कृति भी वहां पहुँच गई. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

प्रमुख चौराहे पर मूर्ती समूह - घटोत्कच आक्रामक मुद्रा में 

मूर्ति पर फूल पत्तों का चढ़ावा 

एक मंदिर 

मंदिर हों तो दान पात्र भी जरूरी हैं और 'दान पुन्य' भी  

बाली में इस तरह के कई मंदिर हैं 
लाल निशान दिखा रहा है - बाली द्वीप. इन पूर्वी एशिया के देशों से भारत का घनिष्ट सम्बन्ध रहा होगा   

* ये फोटो-ब्लॉग मुकुल वर्धन  की  प्रस्तुति  है  
* This blog has been contributed by Mukul Wardhan 








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