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| गुरुद्वारा तखत सचखंड श्री हज़ूर साहिब, नांदेड़, महाराष्ट्र |
हैदराबाद
में दो दिन रुकने के बाद हम नांदेड़ की ओर बढे. निर्मल में एक रात आराम
किया ( ये शब्द 'निर्मल' एक जिले का नाम है जो तेलंगाना में है! ). वहां से
अगले दिन गुरुद्वारों के शहर नांदेड़ में प्रवेश किया.
नांदेड़
जिला महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के पूर्वी भाग में गोदावरी नदी के
किनारे है. नांदेड़ मुम्बई से 600 किमी, हैदराबाद से 275 किमी और नागपुर से
425 किमी दूर है. रेल और सड़कों से जुड़ा हुआ शहर है. एक छोटा एयरपोर्ट -
इंदिरा गाँधी एयरपोर्ट भी है पर कम ही इस्तेमाल होता है. इसका शहर का नाम
नांदेड़-वाघला, अब्चल नगर या अबिचल नगर भी बताया जाता है. नांदेड़ में तेलगु
के अलावा हिंदी, मराठी, उर्दू और लम्बाडी भाषाएं भी बोली जाती हैं. 2011 की
जनगणना के अनुसार यहाँ की आबादी 33 लाख से ज्यादा थी.
नांदेड़
में दसवें सिख गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह का निधन 7 अक्टूबर 1708 में हुआ
था. अंतिम दिनों में उन्होंने 'गुरु' की पदवी किसी व्यक्ति को ना दे कर
'ग्रन्थ साहिब' को दी. श्री गुरु गोबिंद सिंह के अंतिम विश्राम स्थल को
'तखत सचखण्ड श्री हज़ूर साहिब' कहा जाता है. सिख धर्म के अन्य चार तखत हैं -
1. अकाल तखत अमृतसर, 2. तखत केशगढ़ साहिब आनंदपुर, 3. तखत पटना साहिब बिहार
और 4. तखत दमदमा साहिब भटिंडा.
पहला गुरुद्वारा यहाँ महाराजा
रणजीत सिंह ( 1780 - 1839 ) ने बनवाया था. इसके लिए पैसे, सामान, कारीगर
और और मजदूर पंजाब से भेजे गए थे. इनमें से ज्यादातर लोग यहीं बस गए. आसपास
के इलाके में काफी संख्या में सिख आबादी है. ऑटो ड्राइवर ने बताया कि जिले
में 28 बड़े गुरूद्वारे हैं. स्थानीय लोग इन्हें 'नानक टेम्पल' कहते हैं.
नांदेड़
में रहने के लिए होटल भी हैं और बहुत से लॉज और धर्मशाला भी हैं जिनमें
अच्छी व्यवस्था है और बहुत कम पैसों में कमरे उपलब्ध हैं. ऑटो से शहर के
सभी गुरुद्वारे देख सकते हैं. पूरे दिन की टैक्सी कर लें तो दूर दूर के
गुरुद्वारों में भी जा सकते हैं. कुछ फोटो प्रस्तुत हैं.
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| शाम के समय का दृश्य |
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| बुरका पहने कुछ दर्शनार्थी भी गुरूद्वारे में दिखे |
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| गुरुद्वारा नानक सर साहिब |
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| द्वार 4. विशालकाय परिसर में इस तरह के कई द्वार हैं |
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| द्वार 5 |
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| द्वार 6 |
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| गुरुद्वारा श्री लंगर साहिब. गोदावरी नदी के किनारे बना हुआ है जहाँ 24 x 7 खाने की सेवा सभी को दी जाती है |
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| गुरुद्वारा श्री गोबिंद बाग साहिब जी. यहाँ बहुत बड़ा हरा भरा पार्क, जिम और लेज़र शो की व्यवस्था है |
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| गुरुद्वारा
श्री बंदा घाट साहिब. ये स्थान माधो दस बैरागी का आश्रम हुआ करता था. 1708
में गुरु गोबिंद सिंह से मुलाकात के बाद वो बंदा सिंह बहादुर कहलाए.
उन्हीं के नाम पर यह गुरुद्वारा बना. |
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| गुरुद्वारा साहिब नांदेड़ |
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| गुरुद्वारा साहिब नांदेड़ |
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| गुरुद्वारा साहिब नांदेड़ |
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| गुरुद्वारा
श्री नगीना घाट. यहाँ एक बंजारे ने एक नायाब कीमती नगीना गुरु साहिब को
भेंट किया. गुरु साहिब ने नगीना नदी में फेंक दिया और कहा की इस पत्थर से
ज्यादा कीमत जीवन की है. बंजारे ने तुरंत नदी में छलांग लगा दी. वहां उसे
और कई नगीने मिल गए. उस बंजारे को गुरु साहिब के कथन का दर्शन समझ आ गया |
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| गुरुद्वारा
बाउली दमदमा साहिब. ये छोटा सा दो कमरों का गुरुद्वारा है जिसके परिसर में
एक मीठे पानी की बाउली या कुआँ है. 1708 में यहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी की
मुलाकात शहज़ादा मुअज़्ज़म से हुई जो बाद में बहादुर शाह ज़फर के नाम से दिल्ली
के तख़्त पर बैठा था. |
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| नांदेड़ शहर का एक दृश्य |
गुरूद्वारे के आसपास का एक दृश्य
स्थानीय कलाकार गुरूद्वारे के आँगन में
मेरठ - बैंगलोर - मेरठ कार यात्रा, भाग - 30
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