Saturday, July 27, 2024

ओसियां, राजस्थान

 https://hindi.nativeplanet.com/travel-guide/osian-in-rajsthan-hindi-001265.html

मध्य प्रदेश के खजुराहो का प्रतिबिंब राजस्थान में; ओसियां!

Tripti Verma

भारत ही एक ऐसा देश है जिसने संस्कृति को परिभाषित करते हुए सत्य और शिव के साथ सुन्दर भी जोड़ा है। भारतीयों का सौंदर्य-बोध अत्यंत उच्च श्रेणी का रहा है और जहाँ भी अवसर मिला है इसे समुचित तौर पर दर्शाया भी गया है। हमारे प्राचीन मंदिर तो शिल्प के जिस अद्भुत सौन्दर्य को समेटे हुए हैं उसे देखने पूरी दुनिया से लोग आते हैं। इन्हीं विभिन्न प्रकार के सौन्दर्यों के बीच स्थित है, राजस्थान का 'ओसियां'

ओसियां, यह नाम ही हमारी जिज्ञासा को जगाता है। सबसे बड़ी बात तो सोचने वाली यह है कि क्या यह जगह भी अपने नाम की तरह दिलचस्प है? तो हम आपको बताये देते हैं, कि इसमें कोई शक नहीं है। यह जगह आपको अंदर तक आश्चर्य से भर देगी। वास्तव में यह ऐसी जगह है जो हमें भारत के बीते युग की भव्यता की सैर कराती है। प्रांतीय राज्यों का प्रभाव इतना महान है कि वह आज आधुनिक समय में भी अपना आकर्षण साफ़ दर्शाते हैं।

तो तैयार हो जाइये राजस्थान के ऐसी ही अनजान और ऐतिहासिक यात्रा के लिए। जोधपुर शहर से 68 किलोमीटर तक की यात्रा आपको ओसियां में ले जाएगी, थार मरुस्थल के बीचों बीच बसा एक ऐसा अंजान नगर जो अपने इतिहास को दोहराता हुआ आज भी अपनी ऐतिहासिक शान के साथ खड़ा है।

ओसियां

ओसियां

कभी ऐसा भी समय हुआ करता था जब आज का यह धार्मिक स्थल एक व्यापारिक केंद्र हुआ करता था। आज भी गुप्ता राजवंश का महा योगदान यहाँ देखा जा सकता है।

Image Courtesy:Schwiki

ओसियां

ओसियां

पहले भी यह सिर्फ एक व्यापारिक केंद्र ही नहीं हुआ करता था, यह एक ऐसा स्थल था जो ब्राह्मणों और जैन धर्म के लोगों के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक था।

Image Courtesy:Schwiki

ओसियां

ओसियां

बाद में जब घोर के मुहम्मद ने यहाँ हमला किया, कई लोगों ने अपना धर्म जैन धर्म में परिवर्तित कर लिया। अब ओसियां राजस्थान के प्रमुख जैन तीर्थ स्थलों में से एक है।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

ओसियां विरासत प्रेमियों और इतिहास प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं, यहाँ के सदियों से स्थापित प्राचीन मंदिर।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

यहाँ की आकर्षक वास्तुकला और शैलियाँ आपको अपनी और खींच ले जाएँगी। इन मंदिरों के ऐसे भव्य और शालीन योजना से बनाये गए रूप निश्चित तौर से राज्य के अन्य मंदिरों को कड़ी प्रतियोगिता देते है।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

Shri Ram's Connection With Sri Pattabhirama Swamy Temple, Vayalpadu, Andhra Pradesh | Oneindia News

Shri Ram's Connection With Sri Pattabhirama Swamy Temple, Vayalpadu, Andhra Pradesh | Oneindia News

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

यहाँ की प्रभावशाली मूर्तियां जो कई अलग-अलग पौराणिक कथाओं को दर्शाती हैं हर बार पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इसलिए ओसियां को 'राजस्थान का खजुराहो' भी कहा जाता है।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

गुर्जर प्रतिहार राजवंश के शासनकाल के प्रारम्भ होने के बाद ही जैन धर्म इतना प्रसिद्द हुआ। कई जैन भगवानों के बीच, ओसियां जैन धर्म के नाग देवता के लिए प्रसिद्द है।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

ओसियां के नाग देवता की जैन धर्म में एक खास महत्ता है। इस प्रकार से यह प्राचीन नगर राजस्थान में जैन धर्म का एक प्रसिद्द जैन तीर्थस्थल है।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

ओसियां के मंदिरों की सैर आपको और भी आश्चर्य से भर देगी, क्यूंकि यहाँ के हर एक खम्बे और दीवार उस समय कला और वास्तुकला के प्रति जूनून को बखूबी दर्शाते हैं।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

यहाँ स्थित सूर्य मंदिर, महावीर मंदिर, सच्चिया माता मंदिर ओसियां के प्रमुख मंदिरों में से एक हैं।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

ओसियां का पुराना नाम उपकेशपट्टन है और यह ओसवालों के इतिहास का पहला अध्याय है।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

खूबसूरत शिल्प को संजोये हुए ओसियां के ये जैन मंदिर श्रद्धा के साथ-साथ कला-प्रेमियों के भी आकर्षण का केंद्र हैं।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

ओसियां के सच्चियाय माता मंदिर में मां सच्चियाय का आलौकिक स्वरूप श्रद्धालुओं के मन को सदैव ही लुभाता आया है।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

हर साल नवरात्र के शुभ उपलक्ष्य पर पूरे देश से भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मंदिर के चारों तरफ नौ देवियों के मंदिर बने हुए हैं।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

महोत्सव के दौरान पूरे नौ दिन अलग-अलग देवियों की विशेष पूजा-अर्चना व अभिषेक किया जाता है।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

मंदिर का भव्य रूप एक बहुत बड़े किले सा देखते ही बनता है।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

यहाँ के लोगों के अनुसार यहाँ बने ये मंदिर लगभग 3000 साल पुराने हैं।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

इनका निर्माण करीब 8वीं से 11वीं शताब्दी के बीच किया गया था।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

मंदिरों के चारों तरह बनाई गई ऐतिहासिक मूर्तियां पत्थर को खोद कर बनाई गई हैं जो हूबहू खजुराहो की वास्तुशैली से मेल खाती हैं।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

कई मूर्तियां तो मोहम्मद गजनवी के आक्रमणों व कार्यकाल के समय तोड़ दी गई थीं। यहाँ की हर मूर्ति कहीं न कहीं से खंडित है।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

यहाँ स्थित माता के मंदिर के लिए कहा जाता है कि यहाँ स्थापित मूर्ति अपने आप ही यहाँ गठित हुई थी। किसी ने भी इस मूर्ति का स्थापन नहीं किया था।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

मंदिरों और मूर्तियों की वास्तुकला में की गई बारीकियां उस समय के शिल्पकारों की कार्य कुशलता को पूरी तरह से दर्शाते हैं।

Image Courtesy:Schwiki

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आखिर ऐसा क्या है ओसियां में?

आज ओसियां एक ओएसिस या राजस्थान के रेगिस्तान में झरने की तरह है।

Image Courtesy:kikumjy

ओसियां में और क्या करें?

ओसियां में और क्या करें?

ओसियां कलात्मक मंदिरों के अलावा, ऊंट की सवारी के लिए भी प्रसिद्ध है। पर्यटकों के पास मंदिरों और उनकी वास्तुकला के सुंदर दृश्य का आनंद लेते हुये ऊंट की सवारी का भी मज़ेदार विकल्प है।

Image Courtesy:kikumjy

ओसियां कैसे पहुँचें?

ओसियां कैसे पहुँचें?

सड़क यात्रा द्वारा: जोधपुर से कई बस सुविधाएँ ओसियां तक के लिए उपलब्ध हैं। आप अपनी निजी टैक्सी या कैब बुक करा कर भी यहाँ तक पहुँच सकते हैं।

Image Courtesy:Schwiki

ओसियां कैसे पहुँचें?

ओसियां कैसे पहुँचें?

रेल यात्रा द्वारा: यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन जोधपुर रेलवे स्टेशन है।

Image Courtesy:L T Gandhi

यात्रा पर पाएं भारी छूट, ट्रैवल स्टोरी के साथ तुरंत पाएं जरूरी टिप्स. Subscribe to Hindi Nativeplanet 

 

hindi.livehistoryindia.com

मंदिरों की नगरी ओसियां

नरेंद्र सिंह जसनगर

-केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश— जैसी सरस एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति के साथ राजस्थान सदैव से पर्यटकों के स्वागत में पलक-पांवड़े बिछाता आया है।

राजस्थान का नाम आते ही खड़कते खाँडे, घाटियों और पहाड़ो में घोड़ों की टापों की गूंज, मेघ गर्जना सी प्रतीत होती है। जहाँ धधकते आग के शोलों में सर्वस्व होम करने वाली सौभाग्यवती रानियाँ और केसरिया बाना धारण किये मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण निछावर करने वाले सैकड़ों वीरों के स्मारक, गढ़, क़िले, दुर्ग और मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। राजस्थान की स्थापत्य कला अत्यन्त प्राचीन, समृद्ध, अद्वितीय एवं गौरवपूर्ण रही है। इस कला के माध्यम से मानव के अव्यक्त भाव अधिक स्पष्ट होते हैं।

यहाँ राजपूत काल की स्थापत्य कला विश्व विख्यात रही है। जिसके कारण यहाँ के दुर्ग, मंदिर, परकोटे, राजाप्रासाद, जलाशय, स्तम्भ, छतरियां आदि चारों ओर विद्यमान हैं। मुख्य रूप से 7वीं से 13वीं सदी का काल स्थापत्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। जहाँ-जहाँ राजधानियां बनीं वहाँ नगर विन्यास की भूमिका रही है। इस दृष्टि से भीनमाल, चन्द्रावती, लौद्रवा, चित्तौड़, रणथम्भौर, आमेर, मंडोर तथा ओसियां जैसे नगर विकसित हुए। विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर शैव, शाक्त, वैष्णव और जैन धर्म की त्रिवेणी संगम स्थली ओसियां नगरी के धरोहरों से रूबरू होते हैं।

सच्चियाय माताजी मंदिर का द्वश्य

ओसियां:-‘‘क्षत्रि हुआ साख अठारा उठे ओसवाल बखाणा,
इक लाख चैरासी सहस्रधर राजकुली प्रतिबोधिया,
श्री रत्नप्रभु ओस्यों नगर आसवाल जिणा दिन किया,
प्रथम साख पंवार सेस सिसोदिया सिंगाला,
रणथम्बा राठौड़ वंश चंवाल बचाला,
दया भाटी सोनगरा कछाहा धन गौड़ कहीजै,
जादम झाला जिन्द लाज मरजाद लहीजै,
खखारा पाट औ पेखरा लेणा पटा ज लाख रा,
इक दिवस हता महाजन हुवा सूर बड़ा भिड़ साख रा,,

स्थापत्य कला एवं संस्कृति का अनूठा संगम मारवाड़ की अति प्राचीन ओसियां नगरी में देखा जा सकता है। इस नगरी को प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। यही वह नगर है जहाँ पर जैनाचार्य रत्नप्रभ सुरि जी महाराज द्वारा क्षत्रियों की अठारह खापों को जैन धर्म में दीक्षित इसी ओसिया नगरी में होने के कारण ये सभी ‘‘ओसवाल’’ कहलाये। इन्हीं ओसवालों की उद्गम स्थली ओसियां मंदिर स्थापत्य और ओसवालों के कारण विश्व विख्यात है।

यह क़स्बा वर्तमान में पश्चिमी राजस्थान का प्रमुख पर्यटन केन्द्र बना हुआ है। यहां प्रतिदिन देश-विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। यहाँ के प्राचीन इतिहास और प्रमुख स्थलों की जानकारी देते हुए पृथ्वीराज सारस्वत बताते हैं कि 8वीं से 12वीं शताब्दी में निर्मित ओसियां के ये भव्य मंदिर क्रमशः श्री सच्चियाय माता, भगवान महावीर स्वामी, विष्णु भगवान, हरिहर, सूर्य, शिव के अलावा देवी पीपलाज माता के है जो अपनी विशेष स्थापत्यकला के कारण बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षिंत करते हैं। यह क़स्बा जोधपुर से 65 कि.मी. दूर जैसलमेर सड़क मार्ग पर बसा हुआ है।

Support Live History India

अगर आपको लिव हिस्ट्री इंडिया का काम पसंद आता है, तो अपने सहयोग से हमें प्रोत्साहित करें। कोई भी योगदान छोटा नहीं होता और इसमें आपका ज़्यादा समय भी नहीं लगेगा। आपके योगदान के लिए धन्यवाद।

सच्चियाय माताजी की प्राचीन प्रतिमा | नरेन्द्रसिंह

ओसियां का इतिहास:-1

यह पौराणिक नगरी किसी काल में सरस्वती नदी के किनारे बारह योजन लम्बी और नौ योजन चैड़ाई में बसी हुई थी। यहां की दंतकथा, मंदिरों का समूह, यहां वहां बिखरे पड़े भग्नावशेष जो अपनी गौरवशाली संस्कृति और प्राचीन सभ्यता की कहानी बयां करते हैं। इस सम्बन्ध में डा.महेन्द्रसिंह खेतासर बताते हैं कि ओसियां में ब्राह्मण और वैश्य जातियों की प्रधानता रही है। वैष्णव और जैन धर्मों का यह समन्वय भी इस नगर के विकास में सहायक रहा है। इस नगर पर अनेक इतिहासकारों ने शोध एवं सर्वेक्षण किया है। जैन ग्रन्थों में ओसियां के उपकेशपुर, उपकेश पट्टन और भेलपुर पट्टन नाम मिलते हैं। लोक कथा में भीनमाल के राजकुमार उप्पलेव परमार ने अपनी नई राजधानी यहाँ स्थापित की थी।

प्रतिहार कालीन मंदिर हरिहर | लेखक

ओसियां के प्राचीन मंदिर:-

ओसियां अपने मंदिर स्थापत्य कला के कारण विश्व विख्यात है। इन मंदिरों के निर्माणकाल को विद्धानों ने दो काल खण्डों में बांटा है। मंडोर के प्रतिहार शासकों के द्वारा निर्मित यह भव्य मंदिर उनकी कला के प्रति प्रेम को दर्शाता है। 8वीं से 12वीं सदी के मध्य नागर शैली में निर्मित जैन, शैव और वैष्णव धर्मों के लगभग 16 मंदिर यहाँ मौजूद हैं। यह मंदिर ऊँची जगती पर स्थित हैं जिनकी रथिकाओं में देवता सुशोभित किये गये हैं। इनमें कुछ पंचायतन शैली के मंदिर भी बने हुए हैं। इनमें देवी-देवताओं, गणों, दिक्पालों की मूर्तियों में अद्भूत अलंकरण हुआ है। वहीं मूल प्रासाद पर लतिन, जातक, शिखर आच्छादित है। क़स्बे के मध्य ऊँचाई वाली जगह पर स्थित सच्चियाय माता जी का मंदिर 12वीं सदी का माना गया है। इसके मण्डप में आठ तोरण अत्यन्त आकर्षक वितान और वृक्षिका-मदल दिये गये हैं। यह बड़ी ही सुन्दर रचना विधान है। इसमें लतिन शिखर का उपयोग हुआ है।

यहां के मंदिरों की कला में पदम, घटपल्ल, कीर्ति मुख आदि रूपांकनों से अलंकरण हुआ है तथा पत्थरों में विविध रूपांकरण उकेर ने से यहां के हस्तशिल्प कलाकारों की क्षमता पर भी आश्चर्य होता है।

ओसियां का मुख्य भगवान महावीर स्वामी मंदिर रत्न प्रभ सूरि महाराज के आगमन के पश्चात् बनाया गया था। इसका निर्माण राजा वत्सराज (770-800 ई.) के शासन काल में हुआ। यह मंदिर एक परकोटे में स्थित है। कालान्तर में इसका जीर्णोद्वार भी हुआ है। अन्य मंदिरों पर संवत् 1013, 1236 व 1245 के शिलालेख अंकित हैं। पंचायतन शैली में निर्मित हरिहर मंदिर सर्वधर्म समन्वय का प्रतीक है। इस मंदिर में भगवान विष्णु और शिव की संयुक्त मूर्तियां उकेरी गई हैं। क़स्बे में सूर्य, पीपलाज माता मंदिर के अलावा विशाल कातन और मूँग की बावड़ी भी स्थापत्य कला के बेजौड़ स्मारक है।

हरिहर मंदिर | लेखक

यहां मंदिरों में शिव, पार्वती की अर्धनारीश्वर तथा हरिहर हिरण्यगर्भ स्वरूपों की संयुक्त मूर्तियां भी मिलती हैं।

प्रतिहार कालीन मंदिर हरिहर | लेखक

ओसियां में भगवान गणेश का अलग से कोई मंदिर नहीं है। इसके बावजूद गणेशजी की मूर्तियां अधिक संख्या में हैं। लाल पत्थरों से निर्मित यह सभी मंदिर इतने वर्षों बाद भी अपने वैभव को बयां करते हुए खड़े हैं।

मुग़लकाल में इन पर भी कई बार आक्रमण हुए थे जिससे भारी क्षति भी हुई। प्रतिवर्ष रेगिस्तानी बालू के टीलों पर पर्यटन विभाग द्वारा ‘‘मारवाड़ समारोह’’ के दौरान विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम में ऊँट की सवारी पर्यटकों को आकर्षित करती है। यहां अंतराष्ट्रीय अतिथि गृह, धर्मशाला, गेस्ट हाउस, थार कैम्प और होटल बने हुए हैं। यहां आस-पास तिवरी, घटियाला, फलौदी, मंडोर सहित अन्य कई पर्यटन स्थल भी मौजूद हैं।

हम आपसे सुनने को उत्सुक हैं!

लिव हिस्ट्री इंडिया इस देश की अनमोल धरोहर की यादों को ताज़ा करने का एक प्रयत्न हैं। हम आपके विचारों और सुझावों का स्वागत करते हैं। हमारे साथ किसी भी तरह से जुड़े रहने के लिए यहाँ संपर्क कीजिये: contactus@livehistoryindia.com

 

ओसियां माता मंदिर, राजस्थान

जोधपुर से लगभग साठ किमी दूर एक जगह है ओसियां. आजकल यह एक तहसील है और वैसे थार रेगिस्तान का बहुत ही पुराना व्यापारिक और धार्मिक केंद्र रहा है. यहाँ शैव, वैष्णव और जैन मंदिर एक साथ ही बने हैं. पहाड़ी पर बने सच्चियाय माता का प्राचीन मंदिर है. सच्चियाय माता का दूसरा नाम साची या सचिया माता भी है और समाज के सभी वर्गों में इनकी मान्यता है. जोधपुर जिले का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है. यहाँ महिषासुर मर्दिनी, शिव, विष्णु, कृष्ण, अर्धनारीश्वर आदि की  सुंदर मूर्तियाँ हैं. मंदिर की लाल पत्थर वाली दीवारों पर खुबसूरत काम है. जालियां और छतों पर कमाल की कारीगरी है.

जैन मुनि श्रीमद् विजय रत्नप्रभा सुरी जी के कथानुसार चामुंडा देवी का दूसरा नाम सच्चियाय माता ही था. कहा जाता है की उनके कारण ही राजा उत्पल देव ( उपल देव ) ने जैन धर्म स्वीकार कर लिया और बलि प्रथा समाप्त हो गई. राजा उत्पल देव ने (सन 900 - 950) स्थान का काफी सुधार किया और यहाँ सौ से ज्यादा जैन मंदिरों की स्थापना हुई जिनमें से कुछ ही बचे हैं. उस समय इस स्थान का नाम उपकेसपुर था.

मंदिर सुबह पांच बजे से शाम आठ बजे तक खुला रहता है. मंदिर में मिठाई, कुमकुम, केसर धुप और चन्दन का प्रसाद चढ़ता है जो वहीँ मिल जाता है. पार्किंग की व्यवस्था है. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:


मुख्य शिखर 

हर इंच पर कारीगरी 

पत्थर पर सुंदर काम  

बीच बीच में बैरिकेड लगाकर सुन्दरता घट गई है 

सुंदर जाली और नक्काशी 

सुंदर जाली और नक्काशी 
चामुण्डा देवी को समर्पित 

प्रवेश के लिए सीढ़ियाँ और आठ सुंदर तोरण 

सजीव मूर्तियाँ 

जगती या चबूतरे की नक्काशी 

इन मूर्तियों के कारण थार का खजुराहो भी कहा जाता है 

सुंदर द्वार 

राजा रानी 

महिषासुरमर्दिनी 

कमाल की मुस्कराहट 

कहानी कहते पत्थर 

अर्धनरनारीश्वर 




 https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/02/blog-post_18.html

 

 जयवाण

जयवाण नाम है एक भीमकाय ऐतिहासिक तोप का जो आजकल जयपुर के किले जयगढ़ में खड़ी है.

इस तोप की ढलाई 1720 में राजा जय सिंह द्वितीय ने कराई थी. मजेदार बात ये है की इसे केवल एक ही बार ही चलाया गया. उस वक़्त राजा जय सिंह द्वितीय और दिल्ली के मुग़ल सुलतान मुहम्मद शाह भी वहां मौजूद थे.

भारी होने के कारण इस तोप को घुमाना मुश्किल था. इस काम के लिए चार हाथियों का इस्तेमाल होता था. तोप की बैरल की लम्बाई 6.15 मीटर है और तोप का वजन 50 टन है. इस में इस्तेमाल किये जाने वाला गोला 50 किलो का था और उसे फेंकने के लिए लगभग सौ किलो बारूद की जरूरत पड़ती थी. कहते हैं की पहियों पर चलने वाली ये तोप विश्व की सबसे बड़ी तोप है पर इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई.

इसका गोला जब पहली और अंतिम बार जब फेंका गया तो लगभग 35-40 किमी दूर गिरा था. हालांकि कुछ लोगों का कहना 11 किमी और कुछ का कहना 22 किमी दूर गिरा था. गोला चाकसू नामक गाँव में गिरा जो 35 किमी दूर था और वहां बड़ा गड्ढा बन गया. बाद में बारिश के पानी से तालाब बन गया 'गोला ताल'. बहरहाल गोला दागने वाला तोपची, आठ अन्य सिपाही और एक हाथी धमक या शॉकवेव से ही मर गए. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

भारी भरकम तोप जयवाण. कई जगह इसका नाम 'जय बाण' या 'जय बान' भी लिखा गया है.   

इन बड़े पहियों का व्यास 9 फुट है 

पहियों के आकार का अंदाजा इस फोटो से भी लग सकता है. अगले दो पहिये काफी ऊँचे हैं और पिछले नीचे. तोप की पूरी लम्बाई 31 फीट और 3 इंच है   

जयवाण तोप का मुहाना 11 इंच का है और मोटाई 8.5 इंच है 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.

http://itsmytravelogue.blogspot.com

   Cinematographic Wai - Menavali_November 6, 2013 We had a "real" long Diwali Holidays to our Company - 9 days - long enough to m...