दक्षिणी कर्नाटक में स्थित मैसूर (Mysuru or Mysore ) भारत के ऐतिहासिक और प्रसिद्ध पर्यटन केंद्रों में से एक है। यह कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु(Bengaluru) से 140 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में केरल की सीमा से लगा हुआ है। रेशम(Silk) के वस्त्रों, चन्दन की लकड़ी के सुन्दर सामानों, अपने शाही वैभव और शान के लिए प्रसिद्ध मैसूर(Mysuru) भारत के सबसे स्वच्छ शहरों(Clean City) में से एक है। यह शहर गार्डन, मंदिर, चर्च, महलों, म्यूजियम इत्यादि के कारण यहाँ आने वाले पर्यटकों को घूमने देखने के लिए अच्छे विकल्प प्रदान करता है। मैसूर(Mysuru) का विश्वप्रसिद्ध दशहरा पूरी दुनिया के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहाँ महिषासुर का शासन था जिसके कारण इसका नाम महिषा-ऊरु पड़ा। महिषासुर का अंत इस शहर की संरक्षक चामुंडेश्वरी देवी ने किया। बाद में इसका नाम महिषुरू हुआ जो आगे चलकर मैसूरु और फिर मैसूर के नाम से चर्चित हुआ। ऐतिहासिक साक्ष्यों से पता चलता है कि मैसूर मौर्य शासक अशोक के समय में एक प्रमुख क्षेत्र था। मैसूर में चोल, चालुक्य, होयसल , यदु , वुडेयार, टीपू सुल्तान आदि शासकों ने यहाँ शासन किया।
मैंने मैसूर(Mysuru) के बारे में काफी कुछ सुन रखा था और टेलीविज़न पर भी देख रखा था इसलिए मैसूर जाने का कार्यक्रम दशहरे के समय ही रखा ताकि सजीव रूप से इसमें शामिल हो सकूँ। इसके अलावा मैसूर(Mysuru) में घूमने के बहुत सारे स्थान है जिसके बारे में विस्तार से नीचे जानकारी दी जा रही है -
➥ मैसूर का दशहरा ( Mysuru Dasara )
दशहरा का त्यौहार वैसे तो पूरे भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन मैसूर में दशहरा(Mysuru Dasara) का अपना अलग ही अंदाज़ देखने को मिलता है। इस त्यौहार को कर्नाटक में राजकीय त्यौहार का दर्ज़ा प्राप्त है। यह पूरी भव्यता ,राजसी ठाट और हर्षोल्लास से साथ मनाया जाता है। इसे देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग यहाँ आते है। विजयदशमी के दिन यहाँ मैसूर पैलेस में विशाल जुलूस निकलता है जो बेहद आकर्षक होता है। जुलूस में सबसे पहले एक हाथी पर सवार होकर अन्य 11 हाथियों के साथ मैसूर की संरक्षक चामुंडेश्वरी देवी की मूर्ति नगर भ्रमण के लिए निकलती हैं। हाथियों को बहुत ही अच्छे ढंग से सजाया जाता है। इनके पीछे पारंपरिक परिधान पहने हथियारों से लैस सैनिक और साथ में बैंड पर परेड करते हुए एक दस्ता चलता है।
इस जुलूस में मंत्रमुग्ध करने वाले नर्तक अपने सुंदर नृत्य से मन को मोह लेते है। अलग अलग संगीत वाद्ययंत्रों को बजाते हुए कलाकार सबका मनोरंजन करते है। मुझे सबसे अच्छा लगा यहाँ कलाकारों द्वारा हैरतंगेज़ कारनामों को करते देखना जिसमें मानव मीनार और मुँह से आग के गोले बनाना मुख्य था। विभिन्न पारंपरिक वेशभूषा में मैसूर और कर्नाटक की संस्कृति की अद्भुत झलक यहाँ देखने को मिलती है। कठपुतलियों का खेल, कर्नाटक और मैसूर की प्राचीन संस्कृतियों की शानदार झलक दिखाती हुई झांकियां बहुत की खूबसूरत लगी।
चूँकि मैसूर(Mysuru) का दशहरा विश्वप्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए लाखों लोग यहाँ जुटते है इसलिए सबसे पहले ऑनलाइन टिकट बुक करा कर यहाँ आना चाहिए।
➥ मैसूर पैलेस (Mysuru Palace )
यह महल मैसूर(Mysuru) के शाही परिवार का आधिकारिक निवास है। इसे अम्बा विलास महल से नाम से भी जाना जाता है। इस महल को वाडियार राजा महाराज कृष्णराजेन्द्र वाडियार चतुर्थ ने 1897 से 1912 के मध्य बनवाया था। इसका नक्शा ब्रिटिश वास्तुकार हेनरी इरविन ने बनाया था। पहले यह महल चन्दन की लकड़ी(Sandal Wood) से बना हुआ था लेकिन एक दुर्घटना में छतिग्रस्त होने के कारण इसको दोबारा बनाया गया। तीन मंज़िली इस ईमारत के निर्माण में भूरे रंग के ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। गुम्बद में गुलाबी संगमरमर होने की वजह से यह महल बहुत ही सुन्दर दिखता है।
मैसूर पैलेस(Mysuru Palace) के विशाल प्रांगण में ही मैसूर दशहरा(Mysuru Dasara) का उत्सव मनाया जाता है। इस राजमहल की बनावट में अनेक वास्तुशैलियों जैसे इंडो-सारसेनिक, द्रविड़ियन, रोमन, ओरिएण्टल इत्यादि का प्रभाव दिखता है। महल की आंतरिक बनावट भी बेहद आकर्षक है जिसको राजा रवि वर्मा जैसे विश्वविख्यात पेंटरों की पेंटिंग से सजाया गया है। महल के बाहर का बगीचा भी बहुत सुन्दर है। रात के समय यह महल बल्ब की विशेष सजावट होने के कारण रोशनी से जगमगा उठता है जिसे देख कर ये महल और भी भव्य लगने लगता है।
हम लोगों ने यहाँ पाले गए हाथी के साथ फोटो खिचवाया जो पोज़ देने के लिए अपना सूढ़ ऊपर कर लेता था।
चामुंडी हिल्स पर स्थित देवी चामुंडेश्वरी का मंदिर(Chamundeshwari Temple) मैसूर का एक मुख्य धार्मिक एवं दर्शनीय स्थान है। यह मैसूर(Mysuru) शहर से 13 किलोमीटर दूर है। देवी चामुंडेश्वरी को मैसूर की संरक्षक एवं वाडियार राजवंश की कुलदेवी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि माँ दुर्गा की अवतार चामुंडेश्वरी देवी ने महिषासुर का वध इसी पहाड़ी पर किया था। मंदिर के पास ही महिषासुर का बेहद आकर्षक मूर्ति लगाई गयी है। हम लोगों ने यहाँ फोटो खींचा। चामुंडी के पहाड़ पर ही भगवान शिव के वाहन नंदी की एक बहुत ही विशाल मूर्ति भी है। चामुंडी हिल्स से मैसूर शहर बहुत ही अच्छा दिखता है।
धार्मिक आस्था का केंद्र तथा पहाड़ों पर होने के कारण दिन में यहाँ काफी भीड़ हो जाती है इसलिए यहाँ सुबह आना अच्छा रहता है।
➥ मैसूर का चिड़ियाघर (Mysuru Zoo )
वैसे तो मैंने बहुत सारे चिड़ियाघर देखें हैं लेकिन मैसूर के चिड़ियाघर(Mysuru Zoo) जैसा साफ़ सुथरा और हरा भरा मैंने कहीं भी नहीं देखा। बहुत ही अच्छे रखरखाव के कारण यहाँ घूमना बहुत अच्छा लगा। यहाँ रखे गए जीव जंतु बहुत ही स्वस्थ दिखे। इसके बाड़ों को इनके प्राकृतिक माहौल और ज़रूरत के अनुसार अच्छे से बनाया गया है। यहाँ हम लोगों ने सफ़ेद बाघ, बाघ, गोरिल्ला और विभिन्न प्रकार के जानवर देखें जो बहुत सारे देशों से यहाँ लाये गए थे।
यहाँ हम लोगों ने सफ़ेद मोर भी देखा जो बहुत ही प्रसन्न मुद्रा में था और नृत्य कर रहा था। चिड़ियाघर में ही करंजी झील भी है जहाँ बहुत संख्या में प्रवासी पक्षी हर साल आते हैं। यहाँ एक जैविक पार्क भी है जिसमे भारतीय और विदेशी किस्मों के बहुत सारे पेड़ पौधे लगाए गए हैं। बच्चों को यह जगह बहुत ही पसंद आएगी इसलिए परिवार सहित यहाँ ज़रूर जाना चाहिए।
➥ वृंदावन गार्डन ( Vrindavan Garden )
मैसूर शहर से 19 किलोमीटर दूर कावेरी नदी(Kaveri River के किनारे कृष्णराज सागर बाँध(Krishnaraj Sagar Dam) के नीचे बने खूबसूरत वृंदावन गार्डन(Vrindavan Garden) मैसूर का एक मुख्य आकर्षण है। काफी बड़े क्षेत्र में फैले इस गार्डन में फिल्मों की शूटिंग भी होती है। रंग बिरंगे फूलों और फव्वारों से इसको सजाया गया है। कश्मीर के शालीमार बाग़ की तर्ज़ पर बना यह गार्डन फूलों की सुन्दर क्यारियों से भरा पड़ा है। इस पार्क में एक तालाब भी है जहाँ आप बोटिंग का आनंद ले सकते है। मखमली घांस पर बैठकर इस गार्डन के सुंदरता को निहारना एक बहुत ही अच्छा अनुभव था।
वृंदावन गार्डन का सबसे अच्छा नज़ारा शाम ढलने के बाद दिखता है जब संगीत की ताल पर रंग बिरंगी रौशनी में फव्वारों का शो(Fountain Show) होता है। यह एक खुले से जगह में होता है जिसे देखने के लिए भारी भीड़ जुटती है।
➥ रेत और मोम म्यूजियम ( Sand and Wax Museum )मैसूर शहर से 19 किलोमीटर दूर कावेरी नदी(Kaveri River के किनारे कृष्णराज सागर बाँध(Krishnaraj Sagar Dam) के नीचे बने खूबसूरत वृंदावन गार्डन(Vrindavan Garden) मैसूर का एक मुख्य आकर्षण है। काफी बड़े क्षेत्र में फैले इस गार्डन में फिल्मों की शूटिंग भी होती है। रंग बिरंगे फूलों और फव्वारों से इसको सजाया गया है। कश्मीर के शालीमार बाग़ की तर्ज़ पर बना यह गार्डन फूलों की सुन्दर क्यारियों से भरा पड़ा है। इस पार्क में एक तालाब भी है जहाँ आप बोटिंग का आनंद ले सकते है। मखमली घांस पर बैठकर इस गार्डन के सुंदरता को निहारना एक बहुत ही अच्छा अनुभव था।
वृंदावन गार्डन का सबसे अच्छा नज़ारा शाम ढलने के बाद दिखता है जब संगीत की ताल पर रंग बिरंगी रौशनी में फव्वारों का शो(Fountain Show) होता है। यह एक खुले से जगह में होता है जिसे देखने के लिए भारी भीड़ जुटती है।
यह कलाप्रेमियों के लिए अच्छा स्थान है। रेत म्यूजियम(Sand Museum) में रेत से बने हुए बहुत ही सुन्दर आकृतियां जैसे माँ दुर्गा, गणेश, विभिन्न जीवों के आकर्षक मूर्तियां कलाकार एम. एन. गौरी द्वारा बनाये गए है। आप इन आकृतियों को देखकर हैरान हो जायेंगे क्योंकि यह सजीव सी दिखती है। यह म्यूजियम चामुंडेश्वरी मंदिर की तरफ जाने वाले रास्ते में ही है इसलिए यहाँ ज़रूर जाएँ।
मोम म्यूजियम(Wax Museum) में मोम से बनी करीब 100 आदमकद मूर्तियों को रखा गया है जिसमे महात्मा गाँधी, सचिन तेंदुलकर इत्यादि प्रमुख है। लंदन के मैडम तुसाद म्यूजियम(Madam Tussauds Museum) की तर्ज़ पर बना यह मोम म्यूजियम प्रसिद्ध है यहाँ रखे गए 300 से अधिक देश विदेश के संगीत वाद्ययंत्रों की मोम की आकृतियों के कारण। संगीत के प्राचीन विरासत को सहेजने के लिए ही इस म्यूजियम का निर्माण किया गया था। अगर आप संगीत प्रेमी हैं तो इस म्यूजियम में ज़रूर जाईये।
➥ रेल म्यूजियम ( Rail Museum )
वैसे तो रेल का सबके जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन पिताजी के रेलवे में नौकरी करने के कारण पूरा बचपन रेलवे कैंपस में ही बीता और इसी कारण रेल के प्रति मेरा विशेष लगाव भी है। अगर आप भी रेल के बारे में कुछ जानना चाहते है तो मैसूर(Mysuru) आपको निराश नहीं करता है। यहाँ एक रेल म्यूजियम(Rail Museum) भी है जो रेल के क्रमिक विकास(Progressive Development) को दर्शाती है। इसकी स्थापना 1979 में की गयी थी। इस संग्रहालय में भाप से चलने वाले रेल इंजन, पुराने सिग्नल प्रणाली, मैसूर के महाराज का शाही सैलून को आप देख सकते हैं। यहाँ रेलवे से सम्बंधित पुस्तकें भी हैं जो आपको रेलवे के इतिहास की जानकारी से रूबरू करवाती है।
➥ बांदीपुर नेशनल पार्क ( Bandipur National Park and Tiger Reserve )
मैसूर(Mysuru) से लगभग 73 किलोमीटर दूर स्थित यह एक टाइगर रिज़र्व(Tiger Reserve) है। 800 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जंगल बहुत ही सुन्दर, घना और प्रकृति प्रेमियों के लिए पसंदीदा जगह है। इस पार्क में बाघ, हिरन, हाथी , तेंदुआ , भालू इत्यादि जानवर पाए जाते है। पक्षियों में उल्लू, चील, गिद्ध, किंगफ़िशर, मोर आदि मुख्य हैं। यहाँ जीप सफारी, बस सफारी और हाथी सफारी की अच्छी व्यवस्था है। पार्क के अंदर निज़ी वाहनों का प्रवेश वर्जित है। हम लोगों ने यहाँ हाथी, हिरन, मोर आदि जानवर और बहुत सारे पक्षियों को देखा। हालाँकि बाघ का दर्शन नहीं हो पाया। बांदीपुर टाइगर रिज़र्व(Bandipur Tiger Reserve) जाने अच्छा समय जून से अक्टूबर के मध्य का है।
इसके अलावा मैसूर(Mysuru) में देखने के लिए अन्य स्थान जैसे सेंट फिलोमेना चर्च(Saint Philomena Church), आर्ट गैलरी(Art Gallery), बोन्साई गार्डन(Bonsai Garden) भी है जहां आप जा सकते हैं। संक्षेप में मैसूर(Mysuru) एक उत्सव का शहर(City of Festivals) है जो आपको अपने अलग अंदाज़ की वजह से प्रभावित कर देता है। सबको एक बार मैसूर ज़रूर जाना चाहिए।
वैसे तो रेल का सबके जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन पिताजी के रेलवे में नौकरी करने के कारण पूरा बचपन रेलवे कैंपस में ही बीता और इसी कारण रेल के प्रति मेरा विशेष लगाव भी है। अगर आप भी रेल के बारे में कुछ जानना चाहते है तो मैसूर(Mysuru) आपको निराश नहीं करता है। यहाँ एक रेल म्यूजियम(Rail Museum) भी है जो रेल के क्रमिक विकास(Progressive Development) को दर्शाती है। इसकी स्थापना 1979 में की गयी थी। इस संग्रहालय में भाप से चलने वाले रेल इंजन, पुराने सिग्नल प्रणाली, मैसूर के महाराज का शाही सैलून को आप देख सकते हैं। यहाँ रेलवे से सम्बंधित पुस्तकें भी हैं जो आपको रेलवे के इतिहास की जानकारी से रूबरू करवाती है।
➥ बांदीपुर नेशनल पार्क ( Bandipur National Park and Tiger Reserve )
मैसूर(Mysuru) से लगभग 73 किलोमीटर दूर स्थित यह एक टाइगर रिज़र्व(Tiger Reserve) है। 800 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जंगल बहुत ही सुन्दर, घना और प्रकृति प्रेमियों के लिए पसंदीदा जगह है। इस पार्क में बाघ, हिरन, हाथी , तेंदुआ , भालू इत्यादि जानवर पाए जाते है। पक्षियों में उल्लू, चील, गिद्ध, किंगफ़िशर, मोर आदि मुख्य हैं। यहाँ जीप सफारी, बस सफारी और हाथी सफारी की अच्छी व्यवस्था है। पार्क के अंदर निज़ी वाहनों का प्रवेश वर्जित है। हम लोगों ने यहाँ हाथी, हिरन, मोर आदि जानवर और बहुत सारे पक्षियों को देखा। हालाँकि बाघ का दर्शन नहीं हो पाया। बांदीपुर टाइगर रिज़र्व(Bandipur Tiger Reserve) जाने अच्छा समय जून से अक्टूबर के मध्य का है।
इसके अलावा मैसूर(Mysuru) में देखने के लिए अन्य स्थान जैसे सेंट फिलोमेना चर्च(Saint Philomena Church), आर्ट गैलरी(Art Gallery), बोन्साई गार्डन(Bonsai Garden) भी है जहां आप जा सकते हैं। संक्षेप में मैसूर(Mysuru) एक उत्सव का शहर(City of Festivals) है जो आपको अपने अलग अंदाज़ की वजह से प्रभावित कर देता है। सबको एक बार मैसूर ज़रूर जाना चाहिए।
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➜मैसूर में ये करना ना भूलें : मैसूर दशहरा देखना, रेशम और चंदन से बने सामानों की खरीदारी, फोटोग्राफी।
➜मैसूर कैसे पहुँचे : मैसूर में हवाई अड्डा तथा रेलवे स्टेशन है जो मैसूर को पूरे देश से जोड़ता है। सड़क मार्ग द्वारा बंगलुरु से आप आसानी से मैसूर पहुँच सकते हैं।
➜मैसूर जाने सबसे अच्छा समय : वैसे तो मैसूर पूरे साल जाया जा सकता है लेकिन सबसे अच्छा समय दशहरा का समय हैं जब यहाँ उत्सव का आयोजन होता है।
➜मैसूर जाने में लगने वाला समय : 3 दिन / 2 रात
➜मैसूर जाने में लगने वाला समय : 3 दिन / 2 रात
Blogger Name: Pramod Kumar Kushwaha
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https://www.pktipsonline.com/2020/06/mysuru-dasara-bandipur.html
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